प्रमुख जानकारी — एक नज़र में
- एक नया डेटा-सेंटर प्रोजेक्ट, 1 गिगावाट (GW) क्षमता के साथ, विजाग (Visakhapatnam), आंध्र प्रदेश में बन रहा है।
- इस प्रोजेक्ट में निवेश लगभग US$ 11 बिलियन (~ ₹ 98,000 करोड़) है, और इसे 2030 तक चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाना है।
- यह प्रोजेक्ट है Digital Connexion — जो कि Reliance Industries Ltd. (RIL), Brookfield Infrastructure और Digital Realty का संयुक्त उद्यम है।
- 400 एकड़ भूमि पर फैला यह डेटा-सेंटर कम्प्लेक्स होगा।
साझेदारी — कौन और क्यों?
- Digital Connexion वो JV (Joint Venture) है जिसमें RIL, Brookfield और Digital Realty तीनों भागीदार हैं — हर एक की हिस्सेदारी करीब बराबर बताई जा रही है।
- RIL के लिए यह पहला बड़ा डेटा-सेंटर प्रोजेक्ट है — हालांकि वो पहले से Jamnagar में एक 1 GW AI डेटा सेंटर पर काम कर रहा है। विजाग का सेंटर, Jamnagar वाले सेंटर का “ट्विन” माना जा रहा है।
- इसके पीछे मकसद सिर्फ डेटा स्टोरेज नहीं बल्कि भविष्य-तैयार “AI-native infrastructure” तैयार करना है — यानी वो सिस्टम जो AI workloads (GPU / TPU आधारित) संभाल सके।
प्रोजेक्ट का दायरा: निवेश, आकार और तकनीक
🏗️ निवेश व अवधि
- कुल निवेश: US$ 11 बिलियन (~ ₹ 98,000 करोड़).
- समयावधि: 2025–2030 के बीच चरणबद्ध निर्माण।
📐 भौतिक विवर् — आकार और स्थान
- परिसर फैलेगा लगभग 400 एकड़ में।
- स्थान: विजाग, आंध्र प्रदेश। राज्य सरकार ने आवश्यक भूमि आवंटन, कनेक्टिविटी, बिजली आदि की सुविधा प्रदान करने का आश्वासन दिया है।
💻 तकनीक व डिजाइन — AI-ready
- यह डेटा सेंटर “AI-native, purpose-built” होगा — यानी विशेष रूप से AI व high-density computing workloads के लिए डिजाइन किया गया।
- इसमें उच्च क्षमता वाले AI-ready racks, redundant power feeds, dedicated power substations, और liquid-cooling या advanced cooling systems जैसी सुविधाएं होंगी — ताकि GPUs और TPUs जैसे हार्डवेयर सुचारू रूप से चल सके।
- इसके अलावा, यह डेटा-सेंटर क्लाउड सेवाएं, एंटरप्राइज-क्लाइंट्स, Hyperscalers (बड़े cloud / AI प्लेटफार्म) और भविष्य की generative AI मांगों के लिए तैयार किया जा रहा है।
रणनीतिक महत्व — भारत और विजाग के लिए क्या मायने?
🌐 विजाग — बन रहा है AI का नया हब
- इस निवेश के साथ विजाग को भारत के नए बड़े डेटा-सेंटर हब के रूप में देखा जाने लगा है।
- दरअसल, हाल ही में अन्य वैश्विक और बड़ी कंपनियों ने भी विजाग में निवेश की घोषणाएं की हैं — जिससे यह शहर भारत के डिजिटल-इन्फ्रास्ट्रक्चर मैप पर प्रमुख रूप से उभर रहा है।
✅ आत्मनिर्भरता और “AI sovereignty” की दिशा
- इस तरह के बड़े, देश के भीतर बने डेटा-सेंटर — भारत को विदेशी डेटा केंद्रों या cloud providers पर निर्भरता कम करने में मदद कर सकते हैं।
- साथ ही, देश के लिए AI infrastructural backbone मजबूत बनाना — ताकि भविष्य की AI-driven विकास और सेवाएं भारत के अंदर ही हो सकें।
🔋 हरित ऊर्जा व स्थिरता
- इस डेटा सेंटर के लिए पावर सप्लाई एक बहुत बड़ी चुनौती हो सकती है। लेकिन, जैसा कि RIL ने Jamnagar वाले केंद्र में किया था — विजाग डेटा-सेंटर के लिए भी साफ ऊर्जा व sustainable ऊर्जा स्रोतों की संभावना है। (RIL ने Jamnagar में भी renewable energy को आंके रखा है)
- इससे न सिर्फ ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव (emissions आदि) भी सीमित रहने की उम्मीद है।
📈 आर्थिक विकास, रोज़गार और क्षेत्रीय प्रगति
- 400 एकड़ में फैले इस बड़े परिसर से विजाग में निर्माण, संचालन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सपोर्ट सर्विसेज — ये सब जगहों पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
- इसके साथ ही, स्थानीय vendors, सप्लायर्स, सर्विस प्रोवाइडर्स और IT-ecosystem — समूचा शहर और राज्य डिजिटल अर्थव्यवस्था में भाग ले पाएंगे।
चुनौतियाँ और चिंताएँ — क्या है मुश्किल?
- इतना बड़ा डेटा-सेंटर, बिजली और कूलिंग (शीतलीकरण) के लिए भारी पावर और पानी की मांग करेगा — यदि इन संसाधनों की आपूर्ति ठीक नहीं हुई, तो यह समस्या हो सकती है।
- पर्यावरणीय प्रभाव — चाहे स्थिर ऊर्जा हो या ना हो — डेटा-सेंटर परिसर, आसपास के क्षेत्रों के लिए चुनौतियाँ ला सकता है।
- स्थानीय आबादी, संसाधन प्रबंधन एवं नागरिक सुविधाओं पर दवाब — भूमि, पानी, बिजली, कनेक्टिविटी आदि की मांग बढ़ सकती है।
कुछ विशेषज्ञ voices बता रहे हैं कि इस तरह का infrastructure build-out निश्चित रूप से अवसर लाता है, पर ध्यान चाहिए resource sustainability और शहर की तैयारी पर।
निष्कर्ष — क्या है इस प्रोजेक्ट की असली अहमियत?
- 1 GW AI-ready डेटा सेंटर के साथ, भारत अब वैश्विक AI infrastructure map का हिस्सा बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
- विजाग जैसे शहरों में बड़े निवेश — सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं रहने वाले डिजिटल विकास की शुरुआत है।
- यदि यह प्रोजेक्ट सफल हुआ — तो यह रोजगार, आर्थिक विकास, टेक्नोलॉजी-इनोवेशन और भारत की “AI sovereignty” की दिशा के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
- साथ ही, यह हमें दिखाता है कि भविष्य में “क्लाउड”, “AI workloads”, “data-storage & compute” — सिर्फ बड़े विदेशी data-centres या मल्टीनेशनल कंपनियों तक सीमित नहीं होंगे।
हां, चुनौतियाँ भी हैं — पावर, पानी, पर्यावरण व स्थानीय समन्वय — लेकिन यदि सबकुछ सही तरीके से हुआ, तो यह डेटा-सेंटर सिर्फ विजाग नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए एक गेम-चेंज़र हो सकता है।






