Sanchar Saathi App पर सरकार का U-Turn: क्यों वापस लिया गया Mandatory Order?

Sanchar Saathi app mandatory order rollback in India showing government U-turn and digital privacy concerns
Sanchar Saathi ऐप पर सरकार का U-Turn – Mandatory प्री-इंस्टॉलेशन आदेश वापस

संक्षिप्त परिचय

हाल ही में भारत सरकार ने Sanchar Saathi नामक साइबर-सुरक्षा ऐप को सभी नए स्मार्टफोंस में अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल कराने का आदेश वापस ले लिया है। इस फैसले को सिर्फ कुछ दिनों पहले जारी किया गया था, लेकिन व्यापक विवाद और निजी गोपनीयता (privacy) से जुड़ी चिंताओं के बाद सरकार ने “मजबूरी” हटाकर इसे “वैकल्पिक (optional)” कर दिया।

आइए समझते हैं — यह निर्णय कब, क्यों और कैसे लिया गया, तथा अब स्थिति क्या है।


❗ क्या हुआ था — संक्षिप्त घटनाक्रम

  • 28 नवम्बर 2025 को Department of Telecommunications (DoT) ने आदेश जारी किया कि देश में बिकने या आयात किए जाने वाले हर नए स्मार्टफोन में “Sanchar Saathi” ऐप पहले से इंस्टॉल होगा। साथ ही, पुराने फोन में ये ऐप सॉफ़्टवेयर अपडेट के जरिये पहुँचाई जाएगी।
  • सरकार का उद्देश्य था कि हर नागरिक को साइबर-सुरक्षा का एक साधन मिले — ताकि खोए या चोरी हुए फोन को ट्रैक या ब्लॉक किया जा सके, फ्रॉड, स्कैम या गलत मोबाइल कनेक्शनों की रिपोर्ट की जा सके, और यूज़र्स को मोबाइल-सौदों (IMEI / SIM) की असलियत की जानकारी मिले।

❓ विवाद और विरोध: क्यों हुआ backlash?

📌 निजी गोपनीयता (Privacy) पर चिंता

  • सरकारी ऐप को “Non-removable” करने का मतलब था — यूज़र इसे हटा नहीं सकेगा। इससे कई लोगों में डर था कि ये ऐप “स्नूपिंग (Snooping)” या निगरानी के लिए इस्तेमाल हो सकता है। विपक्षी दल और एक्टिविस्ट्स ने इसे “गुप्त निगरानी” की दिशा में बड़ा खतरा कहा।
  • कई ने इसे तुलना दी थी Pegasus जैसे स्पाईवेयर से — यानी, सरकार द्वारा नागरिकों की आवाज़-संदेश और डेटा पर नजर रखने का जरिया।

📱 टेक्नोलॉजी कंपनियों और Global Makers का विरोध

  • वैश्विक स्मार्टफोन निर्माता (जैसे Apple, Samsung, अन्य Android निर्माता) ने जवाब देना शुरू किया कि “non-removable” ऐप उनकी वैश्विक security architecture के खिलाफ है, और यह ऑपरेशन और manufacturing में जटिलता बढ़ाएगा।
  • उनकी नीति आमतौर पर ये कहती है कि pre-installed third-party apps — खासकर जो डिलीट नहीं किए जा सकते — वे global model की security और integrity को प्रभावित करते हैं।

⚖️ संवैधानिक और विधिक सवाल

  • कई कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि ये आदेश संभवतः संविधान में तय “गोपनीयता का अधिकार (Right to Privacy)” के खिलाफ हो सकता है।
  • विपक्ष और नागरिक स्वतंत्रता समूहों ने इसे “वर्षा-पूर्वक निगरानी” व “डिजिटल अभेद्यता” माना, जिससे नागरिकों की निजता प्रभावित हो सकती है।

🔄 सरकार का बाद में U-Turn — आदेश वापस

  • 3 दिसंबर 2025 को, सरकार ने आदेश वापस ले लिया।
  • इसके पीछे कारण के रूप में सरकार ने कहा कि दिसंबर के पहले कुछ दिनों में ही ऐप की डाऊनलोड संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई — उदाहरण के लिए, एक दिन में लगभग 6 लाख नए रजिस्ट्रेशन हुए, जिससे कुल डाउनलोड 1.4 करोड़ (14 मिलियन) से अधिक हो गई।
  • मंत्रालय का कहना है कि बढ़ते स्वैच्छिक (voluntary) डाउनलोड और लोगों की बढ़ रही स्वीकृति ने दिखा दिया कि जब लोग चाहेगा, ऐप इस्तेमाल कर सकते हैं — इसलिए इसे अनिवार्य बनाना ज़रूरी नहीं रहा।
  • साथ ही, केंद्रीय मंत्री Jyotiraditya Scindia ने लोकसभा में कहा कि “Snooping” या कॉल-ट्रैकिंग संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐप तब तक काम नहीं करता जब तक यूज़र खुद REGISTER या activate न करे, और उपयोगकर्ता चाहे तो इसे anytime DELETE कर सकते हैं।

📰 अब क्या स्थिति है — Sanchar Saathi ऐप: Mandatory नहीं, Optional

  • अब फोन कंपनियों पर प्री-इंस्टॉल करने का दबाव नहीं है — यानी नए फोन खरीदते समय इसके आने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • अगर कोई यूज़र चाहे, तो ऐप डाउनलोड कर सकता है, अन्यथा नहीं। यानी ये एक वैकल्पिक ऐप बन चुकी है।
  • सरकार का कहना है कि लक्ष्य सिर्फ है — लोगों को साइबर सुरक्षा का साधन देना, न कि उनकी निगरानी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि ऐप में कोई surveillance या snooping नहीं है।

📌 क्यों लिया गया यह U-Turn — असली वजहें

यद्यपि सरकार ने “बढ़ती लोकप्रियता” को कारण बताया, किंतु विश्लेषकों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, असली वजहें थीं:

  1. जनता की तीव्र प्रतिक्रिया और Privacy Concerns — सोशल मीडिया पर विरोध, विपक्ष की आलोचना, नागरिकों की निजी आज़ादी और डेटा सुरक्षा के सवाल।
  2. Global smartphone manufacturers की असहमति और compliance-समस्याएं — Apple, Samsung जैसे कंपनियों के लिए mandatory non-removable app रखना मुश्किल था। उन्हें अपने global security policies और supply-chain में बदलाव करना पड़ सकता था।
  3. कानूनी व संवैधानिक जोखिम — privacy कानून, fundamental rights, and data protection को देखते हुए, mandatory app order को न्यायिक चुनौतियाँ झेलनी पड़ सकती थीं।
  4. केंद्र के लिए PR और राजनीतिक दबाव — संसद, विपक्ष और मीडिया में सवालों का सामना करते हुए, सरकार ने “जन-भागीदारी (citizen participation)” और “स्वैच्छिकता” का रुख अपनाया।

🧑‍💻 क्या करें — आम यूज़र्स के लिए बहतर सुझाव

  • यदि आप चाहते हैं कि आपका फोन साइबर फ्रॉड, चोरी या गलत SIM/IMEI जैसी समस्याओं से सुरक्षित रहे — तो Sanchar Saathi ऐप डाउनलोड कर सकते हैं। यह वैकल्पिक है, और आपके ऊपर निर्भर करता है।
  • लेकिन यदि आप अपनी निजी जानकारी और डेटा की गोपनीयता को लेकर चिंतित हैं, और ऐप के कारण किसी तरह की surveillance से डरते हैं — तो इसे डाउनलोड न करें या बाद में आसानी से हटा दें।
  • पहले से ही स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहे हैं तो अनचाहे pre-installed app को identify करें, और अगर ऐप बनी है तो — आप चाहे तो उसे uninstall/remove कर सकते हैं (यदि फोन अनुमति देता हो)।

✍️ निष्कर्ष

भारत में “Sanchar Saathi” ऐप का विवाद इस बात का प्रमाण है कि डिजिटल इंडिया के साथ जनता की निजता (Privacy) की चिंता कितनी गहरी है। चाहे सरकार की मंशा कितनी भी नेक हो — जब लोग असहज महसूस करें, उनकी सहमति के बिना ऐसा कदम उठाया जाए, तो backlash होना स्वाभाविक था।

सरकार ने तेज़ी से U-turn लिया, और ऐप को mandatory बंद कर optional बना दिया। यह दिखाता है कि लोकतांत्रिक देश में नागरिकों की राय, मीडिया और tech-giants के feedback का असर पड़ता है।

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